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pइस रथयात्रा में भाग लेने के लिए और इसके दर्शन लाभ के लिए हज़ारों, लाखों की संख्या में बाल, वृद्ध, युवा, नारी देश के सुदूर प्रांतों से आते हैं।/p
pयह त्रिशूर पूरम फेस्टिवल त्रिशूर के वडक्कुनाथन (शिव) मंदिर में हर साल पूरम दिन पर आयोजित किया जाता है।/p
pदिसंबर महीने में लद्दाख में मनाया जाने वाला लोसर फेस्टिवल यहां का खास आकर्षण है। जिसमें शामिल होकर आपको यहां की संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलता है।/p
pमेवाड़ महोत्सव उदयपुर में पूरे उत्साह और समर्पण के साथ वसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करने के लिए मनाया जाता है।/p
pगोवर्धन पूजा विशेष रूप से मथुरा की कृष्णा नगरी में की जाती है। इस दिन गाय पूजा का भी बहुत महत्व माना जाता है। गोवर्धन पूजा की कथा भगवान कृष्ण से जुड़ी है। इस दिन भगवान कृष्ण ने इंद्रदेव के अहंकार का नाश किया था।/p
pनवरात्रि की अष्टमी को महाष्टमी या दुर्गाष्टमी कहा जाता है/p
pत्योहार की तारीख तिब्बती कैलेंडर के पांचवें महीने के दसवें दिन मनाई जाती है। इसे पद्मसंभव की जयंती के रूप में मनाया जाता है।/p