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pहेमिस मठ लद्दाख में हेमिस नमक स्थान पर द्रुकपा वंश का एक हिमालयी बौद्ध मठ या गोम्पा है।/p
p10 दिनों तक पूजा करने के बाद गणेश जी का विसर्जन किया जाता है। मान्यता के अनुसार, विसर्जन के बाद बप्पा अपने धाम को चले जाते हैं।/p
pवसंत पंचमी के दिन घरों में देवी सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा की जाती है, अगले दिन मूर्ति को नदी में विसर्जित कर दिया जाता है। /p
pप्राचीन काल में रामायण या महाभारत केवल घटी हुई, घटनाएं नहीं हैं......आज भी ये घटनाएं हमारे जीवन में प्रतिदिन होती रहती हैं.........अतः इन कहानियों का सार शाश्वत है।/p
pहिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, वाल्मीकि का जन्म अश्विन महीने की पूर्णिमा के दिन हुआ था। हर साल अश्विन महीने की पूर्णिमा के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में कई धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।/p
pदिसंबर महीने में लद्दाख में मनाया जाने वाला लोसर फेस्टिवल यहां का खास आकर्षण है। जिसमें शामिल होकर आपको यहां की संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलता है।/p
pयह तमिल सौर कैलेंडर के अनुसार ताई महीने की शुरुआत में मनाया जाता है जो हिंदू सूर्य देवता को समर्पित है।/p